THE 2-MINUTE RULE FOR हनुमान आरती

The 2-Minute Rule for हनुमान आरती

The 2-Minute Rule for हनुमान आरती

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शास्त्रों की माना जाए तो हनुमान चालीसा का पाठ सौ बार करना चाहिए.

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। प्रभु दस भुज अति सोहे।

भावार्थ– आप साधु–संत की रक्षा करने वाले हैं, राक्षसों का संहार करने वाले हैं और श्री राम जी के अति प्रिय हैं।

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व्याख्या – श्री हनुमान जी महाराज ने श्री विभीषण जी को शरणागत होने का मन्त्र दिया था, जिसके फलस्वरूप वे लंका के राजा हो गये।

↑ "पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी भारतीय संस्कृति के महान प्रचारक : प्रोफेसर दरबारी लाल".

आपके तीनों रूप अति सुंदर हैं और तीनों लोकों में मन मोह लेते हैं।।

जाने सुंदरकांड पाठ की विधि, मिलने वाले लाभ और विशेष महत्व

श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित... श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।

व्याख्या – मनरूपी दर्पण में शब्द–स्पर्श–रूप–रस–गन्धरूपी विषयों की पाँच पतवाली जो काई (मैल) चढ़ी हुई है वह साधारण रज से साफ होने वाली नहीं है। अतः इसे स्वच्छ करने के लिये ‘श्रीगुरु चरन सरोज रज’ की आवश्यकता पड़ती है। साक्षात् भगवान् शंकर ही यहाँ गुरु–स्वरूप में वर्णित हैं–‘गुरुं शङ्कररूपिणम् ।‘ भगवान् शंकर की कृपा से ही रघुवर के सुयश का वर्णन करना सम्भव है।

ॐ हनुमंत वीर रखो हद धीर करो ये काम व्यापार बढे तंत्र दूर हों टोना टूटे ग्राहक बढे कारज सिद्ध होय ना होय तो अञ्जनि की दुहाई

मंगलवार, शनिवार के अलावा हनुमान जयंती, राम नवमी और नवरात्रे जैसे शुभ अवसरों पर भी आप हनुमान जी को समर्पित यह सभी पाठ कर सकते है। हनुमान चालीसा लिरिक्स read more को महान संत गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है।

व्याख्या – किसी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिये सर्वप्रथम उसके गुणों का वर्णन करना चाहिये। अतः यहाँ हनुमान जी के गुणों का वर्णन है। श्री हनुमन्तलाल जी त्याग, दया, विद्या, दान तथा युद्ध – इन पाँच प्रकार के वीरतापूर्ण कार्यों में विशिष्ट स्थान रखते हैं, इस कारण ये महावीर हैं। अत्यन्त पराक्रमी और अजेय होने के कारण आप विक्रम और बजरंगी हैं। प्राणिमात्र के परम हितैषी होने के कारण उन्हें विपत्ति से बचाने के लिये उनकी कुमति को दूर करते हैं तथा जो सुमति हैं, उनके आप सहायक हैं।

व्याख्या – श्री रामचन्द्र जी ने हनुमान जी के प्रति अपनी प्रियता की तुलना भरत के प्रति अपनी प्रीति से करके हनुमान जी को विशेष रूप से महिमा–मण्डित किया है। भरत के समान राम का प्रिय कोई नहीं है, क्योंकि समस्त जगतद्वारा आराधित श्री राम स्वयं भरत का जप करते हैं

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